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सिद्धांत

लोक पार्टी द्वारा एक नये, ईमानदार, सम्पन्न भारत के निर्माण की रूपरेखा

एक भविष्य दृष्टा की भांति नेहरू ने लिखा था "बहुत साल पहले जब हम लोग गांधी जी के नेतृत्व में स्वतंत्रता के संग्राम में भाग ले रहे थे तब हमारे सामने बड़ी परिकल्पना रहती थी, स्वाधीनता की ही नहीं, कुछ और ज्यादा बाते थीं, एक सामाजिक उद्देश्य था, भविष्य का एक स्वप्न था, जिसका हम निर्माण करने जा रहे थे और उसने हमें एक प्रकार की स्फूर्ति प्रदान की, अन्याय के विरुद्ध लड़ने का एक जज़्बा दिया। अब हममे से बहुतेरे शायद रास्तें से भटक गये हैं... हमारे नेताओं के सामने एक बड़ा सपना था कि समाज के सबसे गरीब और कमजोर लोगों के जीवन को बेहतर बनाया जाय। वे महानता के प्रतीक इसलिये बन गये क्योंकि गरीबों की संवेदना को स्वयं में महसूस किया और अपने समर्पित प्रयत्नों से वे उस परिवर्तन का मूर्त उदाहरण बन गये जो परिवर्तन "हम समाज में देखना चाहते हैं। बाद के वर्षों का राजनीतिक नेतृत्व स्वार्थी और भ्रष्ट हो गया और आज भी वह जानबूझ कर इस अपरिवर्तनीय सत्य को अनदेखा कर रहा है कि जिस अनुपात में नेता आम आदमियों के कल्याण के लिये काम करेंगे उसी अनुपात में देश की महानता सुनिश्चित होगी। आज के राजनीतिक नेताओं की पूरी फसल अपने आपको अधिक से अधिक अमीर बनाने में प्राणपण से जुड़ी हुई है।
2. हमारी सभी समस्याओं और उनसे प्रत्युत्पन्न हमारे अवरूद्ध विकास का आज एक मात्र कारण है कि नेताओं ने देशवासियों को धोखा दिया है। इसीलिये वर्ष 2016 का भारत अपार संभावनाओं का एक देश बनकर रह गया है, एक ऐसा राष्ट्र जिसकी 125 करोड़ की जनसंख्या में 65 प्रतिशत नागरिकों की अवस्था 35 वर्ष से नीचे है और जो आज भी ऊर्जा, आशा और आकांक्षा से धड़क रहा है। प्रत्येक भारतीय एक शांतिपूर्ण सम्मानित जीवन जीना चाहता है जिसमें वह दो जून की रोटी कमा सके, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सके और जिन्दगी के पायदान पर सामान्य रूप से ऊपर उठा सके। आम आदमी की यही आशा, यह सपना और आकांक्षा जीवन के मूल से जुड़ी है इससे कम की कल्पना तो की भी नहीं जा सकती। हमारी प्रशासन व्यवस्था ने ही जनता को धोखा दिया है। हम भारत को वैश्विक स्तर पर महान तो नहीं बना पाये, उल्टे भारत में शोषण करने वाला एक मजबूत सामाजिक, आर्थिक तंत्र निर्बाध रूप से सक्रिय है। हमारे गांवों में दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब लोग रहते हैं जो गरीबी, कुपोषण, बीमारी और अभाव से ग्रस्त हैं। आज की राजनीतिक व्यवस्था पूर्व के पथ निर्माताओं की राह से भटक गयी है और समस्त आदर्शों को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया है।
आज की व्यवस्था केवल जाति, धर्म और भाषा की तुच्छ परिधियों में बंधकर राष्ट्र के परिप्रेक्ष्य को सर्वथा भूल बैठी है लेकिन हम निष्ठापूर्ण और समर्पित प्रयासों से एक नवीन भारत की संरचना करेंगे जो वर्ग, जाति, जातिगत शोषण और अमानवीय गरीबी, अशिक्षा तथा सामाजिक-आर्थिक अत्याचार से पूर्णतया मुक्त रहेगा।

3. स्थानीय राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक शक्तिशाली एवं प्रभावी प्रशासन व्यवस्था के माध्यम से हम ऐसा करने में सफल होंगे। हमारा ध्येय होगा सर्वोदय-सबके लिये समान अवसर, सबका मंगल। नवीन राजनीति में फैसले सिद्धान्तों पर आधारित रहेंगे और आज की मुख्यत स्वार्थी भौतिकवादी व्यवस्था के स्थान पर यह नैतिक मूल्यों से प्रेरित, जनकल्याण एवं सामाजिक न्याय पर केन्द्रित रहेगी। सार्वजनिक मामलों को एक नैतिक आयाम प्रदान किया जायेगा। प्रशासन में हम अन्याय के विरूद्ध जंग की भावना को पुर्नस्थापित करेंगे। साध्य के लिये साधनों की शुचिता की अवहेलना नहीं की जायेगीचाहे व्यक्ति हो समूह हो अथवा अन्य राष्ट्र हो सबसे साथ निष्कलुष भाव से व्यवहार किया जायेगा। एक ही अन्तरात्मा द्वारा समस्त कार्य संचालित किये जायेंगे। राष्ट्र के रूप में हम जैसा बायेंगे वैसा ही काटेंगेहम अच्छे बीज बोयेंगे ताकि समाज एक अच्छी फसल काटे। हमारा अंतिम दर्शन एवं अभीष्ट एक ही होगा कि कैसे प्रत्येक नागरिक को यथासंभव एक सर्वोत्तम जीवन जीने का अवसर प्रदान किया जाये।